बात ये ख़ुद को बताओ हर घड़ी ऐ मुसाफ़िर तू नहीं मजबूर है। बात ये ख़ुद को बताओ हर घड़ी ऐ मुसाफ़िर तू नहीं मजबूर है।
कभी समझदार, कभी नादान। वह है वक्त बलवान। कभी समझदार, कभी नादान। वह है वक्त बलवान।
नहीं छीनेंगी रोटियां। नहीं छीनेंगी रोटियां।
आज इस बात पर तुम इतराते हो, जिस वक्त को तुम अपना समझते हो, आज इस बात पर तुम इतराते हो, जिस वक्त को तुम अपना समझते हो,
कभी अँधेरी रात तो कभी चुभती हुई धूप कभी अँधेरी रात तो कभी चुभती हुई धूप
समय सदा बलवान, घड़ी बलवान नहीं। पल पल परिवर्तन ही इसे सुहाता है।। निकल गया जो वक्त, नहीं फिर आ... समय सदा बलवान, घड़ी बलवान नहीं। पल पल परिवर्तन ही इसे सुहाता है।। निकल गया...